एक दिया जल रहा है, चारो तरफ अँधेरा है,
नजाने कौनसी नगर में नानी तू जाने वाली है,
कोई सर झुकाये बैठा है, कोई आंसू बहाये बैठा है,
कोई तेरे लिए बिस्तर बांध रहा है,
नजाने कौनसी नगर में नानी तू जाने वाली है,
अँधेरा बढ़ता जा रहा है,
तू चुपचाप चादर लपेटे सोई है,
अकेली घरसे बहार तू कैसे जाएगी,
साथ में तेरे कहाँ तक कोई जायेगा,
पल भर में उमीदें जलने वाली है,
तेरे इंतज़ार में ज़िन्दगी बे सबर गुजरने वाली है,
नजाने कौनसी नगर में नानी तू जाने वाली है,
पूछ रहा है हर कोई तू अब फिर कब आने वाली है,
तू रुशवा हो के छुपचाप सोइ है,
पल भर में उमीदें जलने वाली है.
नजाने कौनसी नगर में नानी तू जाने वाली है.