Bahar khada ek anjaan dushman hai!

Bahar khada ek anjaan dushman hai!

ख़ौफ़ का साया है हर तरफ,बंद दीवारों मैं समेट्ले तू ख्वाहिशें! बेखौफ़ घूम रहे है मौत के दरिंदे,लड़ रहा है, कब तक लड़ेगा रक्षक! खुदा चुप बैठा है मंदिर के दरवाज़े बंद किए,किस्मत के भरोसे बैठा है हर अकेला! लड़ नहीं पाएगा तू उस अंजान दुश्मन से,लाचार है हर हतियारबेजान है...