ख़ौफ़ का साया है हर तरफ,
बंद दीवारों मैं समेट्ले तू ख्वाहिशें!

बेखौफ़ घूम रहे है मौत के दरिंदे,
लड़ रहा है, कब तक लड़ेगा रक्षक!

खुदा चुप बैठा है मंदिर के दरवाज़े बंद किए,
किस्मत के भरोसे बैठा है हर अकेला!

लड़ नहीं पाएगा तू उस अंजान दुश्मन से,
लाचार है हर हतियार
बेजान है बाहें,
बस हौसला रख,

गुमनाम रहना है उस वक़्त तक,
जबतक हौसला है, साहस है,
बाहर खड़ा एक अंजान दुश्मन है|