SIDDAT
SAADGI
SAADHNA
जब घर की ज़िम्मेदारी आती है,
तो बेटियाँ घर सँभालने में लग जाती हैं,
जब बेटों की बारी आती है,
तो नौकरी के नाम पर घर छोड़ के चले जाते हैं!
ये तुलना बेटियों और बेटों में नहीं है,
ये ज़िम्मेदारी और उसूल की बात है,
बेटियों में ताक़त है, समझने और सँभालने की,
और बेटों में ताक़त है, जी-तोड़ मेहनत करने की।
~ManoAaina
आसान नहीं, मुश्किल भी नहीं,
इन राहों पे चलना, इन वादियों में टहलना,
वक्त किसके पास है?
हम ख़ुद को ही ढूंढते रहते हैं,
शहरों की गलियों में,
ख़ुद ही ख़ुद से लड़ते रहते हैं,
वक्त किसके पास है?
कभी इन नज़ारों से पूछो,
कभी आज़ाद परिंदों से पूछो,
वक्त हमारे पास ही क्यों नहीं!
~ManoAaina
Apni dard ki dashtan main kisko sunati?
main khud roo bhi nahin pati thi.
main kitna cheekhti, kitna chillati rahi..
meri cheekh kisi ne bhi na suni.
na woh kali raat ne suni,
jiske sahare main apne palkon me khwaab sanjoye soti thi,
na woh sooni sadkon ne suni,
jisko main apna manzil samajhke chalti thi.
koi bhi na tha wahan jo mujhe sahara deta,
jo bhi the woh mere badan ko nooch nooch ke mujhe dard dete rahe.
dard ke siwa kuch bhi na tha mere paas,
apni dard ki daashtan main kisko sunati?
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